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लेखनी प्रतियोगिता -26-Mar-2022 बीती बातें

बहुत आसां है कहना कि 

बीते कल को भूल जाओ 
बीती बातों को चादर की 
तरह ओढ़कर सो जाओ 

मैं कैसे भूल जाऊं वो लम्हे
जब तुम कॉलेज के बहाने
मुझसे मिलने आया करती 
हाथों में हाथ डाले बतियाते
ना जाने कितनी घड़ियां 
ऐसे ही बीत जाया करतीं 

काजल की तरह मुझे 
अपनी आंखों में बसा रखा था 
गजरे की तरह मेरे प्यार की 
खुशबू को बालों में सजा रखा था 

मेरी चाहत की लाली तुम्हारे 
होठों पर लिपिस्टिक बन लिपटी थी 
मेरे अहसासों की छुअन भर से 
तुम गुडिया की तरह सिमटी थी 

इश्क की अंगड़ाई से तुम्हारा 
जिस्म खिलखिलाने लगा था 
यौवन के भार से नाजुक बदन 
डगमग डगमगाने लगा था 

एक दिन तुम मूवी देखने के 
बहाने से मेरे पास आयीं थीं 
वो रात हमने चांद तारों की 
छांव में एक साथ बिताई थी 

ना तुम कुछ बोल रही थीं 
ना मैं कुछ कह पा रहा था 
तुम्हारे दिल की बातें साफ साफ 
मेरा दिल सुन पा रहा था 

तुम्हारे हाथ का वो स्पर्श 
अभी भी मेरे हाथ में रखा है 
मेरे दिल में तुम्हारी बातों का 
लॉकर अभी भी सुरक्षित रखा है 

तुम्हारी कोई मजबूरी होगी 
जो तुम मेरे साथ चल नहीं पाई 
मैं अगर तुमको दोष देता हूं 
तो यह होगी मेरे इश्क की रुसवाई 

मैं तो तुमको बेवफा भी नहीं मानता
तुम्हारी मजबूरियों को नहीं जानता 
पर इतना जानता हूं कि तुम्हारा इश्क 
मेरी दौलत है, मैं इसी से जी रहा हूं । 

अब तुम ही बताओ कि मैं तुम्हें 
और तुम्हारे प्यार को कैसे भूल जाऊं 
तुम्हारे साथ ख्वाबों की दुनिया जो 
सजाई है, उससे कैसे बाहर आ जाऊं 

मैं भी मानता हूं कि यह मूर्खता है 
पर दिल है कि मानता नहीं 
अब तुम ही आकर इसे समझा दो
क्योंकि ये और किसी को जानता नहीं । 

हरिशंकर गोयल "हरि"
26.3.22 

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22 Comments

Shrishti pandey

28-Mar-2022 07:50 AM

Very nice

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Mukesh Duhan

27-Mar-2022 06:31 PM

Nice ji sir

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Zakirhusain Abbas Chougule

27-Mar-2022 05:11 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Mar-2022 06:05 PM

💐💐🙏🙏

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